हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि का व्यापक प्रचार तथा हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के उद्देश्य से एवं राष्ट्रीय विविधता में एकता को बल देने के हेतु कुछ उत्साही हिन्दी प्रेमियों द्वारा तथा स्व. भानुकुमार जैन तथा स्व. श्रीमती रखमाबाई तल्लूर जी के प्रमुख सहयोग से मुम्बई हिन्दी – विद्यापीठ की स्थापना 12 अक्तूबर 1938 को हुई । इस समय आजादी की लढाई अंग्रेजों के विरोध में जोर पकडी़ हुई थी । आरंभ में मारवाडी़ विद्यालय, मुंबई – 4 में इसका कार्यालय कार्यान्वित रहा । कछुए के चाल से गणमान्य उद्योगपति, समाज सेवियों के सहयोग पर छोटा-सा यह पौधा फलता-फूलता गया ।
आगे पढ़ें1. ग्रामीण क्षेत्रों तक हिन्दी भाषा एवं देवनागरी लिपि का प्रचार-प्रसार करना । 2. हिन्दी भाषा को समृद्ध करते हुए अन्य प्रांतीय भाषाओं के साहित्य का समन्वय बनाए रखना । 3. हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षा, कला संस्कृति, विज्ञान की शिक्षा देना एवं उनके विकास में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना । 4. प्रति वर्ष विविध शाखा कार्यालय अंतर्गत “हिन्दी दिन” सप्ताह का आयोजन करना ।
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